हमारा मन और दिमाग हालांकि दोनों अलग हैं परंतु ये आपस में जुड़े हुए भी हैं।
मन को abdominal brain भी कहा जाता है।
किसी को बुखार आ जाए तो उसका तापमान देखने के लिए जैसे हम थर्मोमीटर का प्रयोग करते हैं बिल्कुल उसी तरह अगर किसी के दिमाग में अगर कोई विकृति पैदा हो जाती है तो चिकित्सक उसका निदान करने के लिए EEG नाम का टेस्ट करते हैं,इस टेस्ट का परिणाम मशीन द्वारा एक कागज पर छाप दिया जाता है जो की तरंगों के रूप में होता है।
चूंकि मन और दिमाग आपस में जुड़े हुए हैं तो मन की जैसी अवस्था होती है वह कागज पर छप जाती है।
इससे चिकित्सक को उस इंसान की बीमारी का पता लग जाता है और इलाज़ से वह जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
मन की 4 अवस्थाएं होती है
1 डेल्टा यानि कि मूर्छा, मानसिक तरंगें 1 से 4 प्रति सेकंड होती है।
2 थीटा यानि कि निंद्रा, मानसिक तरंगें 4 से 7 प्रति सेकंड होती हैं।
3 अल्फा यानि कि अर्धजाग्रत, मानसिक तरंगें 7 से 14 प्रति सेकंड होती हैं।
4 बीटा यानि कि जाग्रत, मानसिक तरंगें 14 से 24 होती हैं।
सबसे श्रेष्ठ अवस्था अल्फा होती है जिसमें हम परमात्मा के साथ होते हैं।
प्रतिदिन ऐसा दो बार होता है; रात को सोने से पहले और सुबह उठते ही कुछ क्षण।
इस अवस्था में हम अपनी इच्छा से और अभ्यास से भी जा सकते हैं और इसका नाम है मेडिटेशन ध्यान।